संत बचन पावन सब कहते,
महापुरुष सिद्घ जिन्हें करते।
फिर भी जग भ्रमित हो जाता,
वहीं प्यार नफरत बन जाता।।
वेद पुराण सभी यह गावें,
परोपकार, प्रेम सब बांटे ।
यह जीवन तो एक सफ़र है,
सारा द्रव्य यहीं रह जावे ।।
मां बेटी, या पुत्र वधू हो,
या हो पुत्र पिता का बंधन।
प्रेम गति में सब सुख पावे,
नव उमंग तरंग लह रावें ।।
जब ये प्रेम रूठ सा जाता
चंचल मन दुर्बल हो जाता,
उदित भानु अस्ट हो जाता,
हरा भरा प्रसून झुक जाता।।
यही स्वर्ग अपवर्ग यही है
ये तो एक सफ़र है अपना।
चलो साथ सब सुख यह पावे,
आत्म रहस्य ज्ञान सब पावें ।।
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