बिन देखे बिन जाने,
जब मिल जाते है दिल अनजाने।
दिल खुद ही दिल से बातें करता,
शब्द नही फिर भी सुख मिलता।।
निशा दिवा हो या संध्या हो ,
हर पल याद सताती रहती।
गहरी नींद रात सावन की,
सपने में जब तुम आ जाती।।
बिन देखे तुझको नजरों ने,
शीतलता का एहसास किया।
बिन पाये तुझको अधरों ने ,
मीठेपन का आभास किया।।
ये प्यार हुआ या इश्क मोहब्बत
या शब्दों का उलट फेर है।
कोई इसे कैसे भी समझे,
हम दोनों की मिलन बेल है।।
No comments:
Post a Comment