Destination of life
धर्म, संस्कृति, नैतिक, अनुशासन
प्रोटोकॉल बने जीवन में
प्रोटोकॉल बने जीवन में
यही हमारे संचालक हैं
ज्यों TCP नेटवर्क में!
ज्यों TCP नेटवर्क में!
हम सब तो हैं डाटा पैकेट
क्या जानें अपनी मंजिल
बस बढ़ जाते हैं उन राहों पर
छोड़ दिया हमको जिन पर
जन्म हुआ जब कच्चा डाटा था
नहीं पता कहाँ जाना था
फिर मुझ पर एक header लगाया
तब आकर फिर LAN घुमाया
मंजिल कहीं दूर थी मुझसे
पर उसका प्रतिबिम्ब बनाया
इसी LAN में किसी छोर पर
जा उसका कोई बिम्ब लगाया
यही बिम्ब मंजिल है तेरी
एसा मुझको आभास कराया
जब पहुँच गया मंजिल पर डाटा
फिर दूर खड़ी मंजिल दिखलाया
ये मंजिल आसान नहीं थी
दूर पड़ी नहीं दिखती थी
तभी header ने जोर लगाया
रूटर पर मुझे राह दिखाया
कितने रूटर मिले राह पर
हर रूटर पर एक मोड़ था
एक मोड़ पर राह अनेक थी
पर मंजिल अपनी एक राह थी
इतने मोड़ राह में आते
कुछ रूटर corrupt हो जाते
नहीं समझते प्रोटोकॉल्स
गलत राह हमको दिखलाते
जब हम राह गलत मुड जाते
देख header फिर राह बनाते
हम डाटा मंजिल क्या जानेंगे
खुद header हमें राह दिखाते
धन्य धर्म , संस्कार हमारे
यही बनाते header हमारा
जिन लोगों ने इसे बनाया
वो स्वयं ईश बन जाते !
*SuperLike* :)
ReplyDeleteJust Awesome man...Its really nice poem....
ReplyDeleteKeep it up...:)
this is really gud article.. having feeling as well.....keep it up shalu:)
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